पाखी
क्या ये सही है?
तुमको पाने के बाद
मेरा कोई वजूद नहीं है
क्या ये सही है?
कि मेरे सपनों की लाश पर
तुम्हारी वास्तविकता की ज़मीं है
क्या ये सही है?
तुम्हारे इस बंधन में
मेरी आशाएं घुटी घुटी हैं
क्या ये सही है?
मैं साथ हूँ तुम्हारे
मेरा मन और कहीं है
अपनी हारी इच्छाओं के कांच से
काटकर तुम्हारे चाहों की डोर
उड़ चली मैं उड़ चली
आज अपने सपनो की ओर
क्यूंकि ये बात सही है
पंख घायल ज़रूर हैं पर
मेरी हिम्मत अभी गयी नहीं है
तुमको पाने के बाद
मेरा कोई वजूद नहीं है
क्या ये सही है?
कि मेरे सपनों की लाश पर
तुम्हारी वास्तविकता की ज़मीं है
क्या ये सही है?
तुम्हारे इस बंधन में
मेरी आशाएं घुटी घुटी हैं
क्या ये सही है?
मैं साथ हूँ तुम्हारे
मेरा मन और कहीं है
अपनी हारी इच्छाओं के कांच से
काटकर तुम्हारे चाहों की डोर
उड़ चली मैं उड़ चली
आज अपने सपनो की ओर
क्यूंकि ये बात सही है
पंख घायल ज़रूर हैं पर
मेरी हिम्मत अभी गयी नहीं है
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